शरद पूर्णिमा 2024: कोजागरी पूर्णिमा कब है? जानिए सही समय और मुहूर्त

Sharad Purnima Muharat 2024: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा भगवान चन्द्र की पूजा की जाती है। जाणून घेऊया यंदा कोजागिरी पूर्णिमा कब है?शुभ मुर्हत क्या है और उसका महत्व

Sharad Purnima 2024 Date and Time: वर्षभार में पड़ने वाली पूर्णिमा का महत्व होते हुए भी शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है।यह पूर्णिमा कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।इस पूर्णिमा पर व्रत रखने की परंपरा है।इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।चन्द्र देवता की भी पूजा की जाती है।इस वर्ष कोजागिरी पूर्णिमा कब है? और शुभ एवं महत्वपूर्ण? आइए जानते हैं विस्तृत जानकारी..

शरद पूर्णिमा 2024 कब है? Sharad Purnima Date 2024 |

इस वर्ष शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।

शरद पूर्णिमा 2024 शुभ मुहूर्त – Sharad purnima muhrat 2024

शरद पूर्णिमा शुभ मुर्हत, 16 अक्टूबर रात्रि 8:40 बजे यह अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम 4:55 बजे तक शुरू होगा.

चंद्र दर्शन का समय Chandra Darshan Timing On Shard purnima

शरद पूर्णिमा का व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही खोलने की परंपरा है।चंद्रोदय शाम 5.04 बजे होगा.

शारद पूर्णिमा पूजा मुर्हत -Shard purnima puja murhat २०२४

शरद पूर्णिमा (16 अक्टूबर) लक्ष्मी पूजा रात 11:42 बजे से 12:32 बजे तक करनी चाहिए।

शरद पूर्णिमा महत्व: Sharad Purnima signeficance

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अन्य दिनों की तुलना में अधिक चमकीला होता है।
यह भी माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी माता प्रुतविवा होती हैं धार्मिक मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी माता पृथ्वी पर अवतरित होती हैं।ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन धन देवता की पूजा करते हैं उन पर देवी लक्ष्मी की कृपा होती है।

पूजा की व्यवस्था कैसे करें?

पूजा की व्यवस्था पाटा या चौरंगा पर करनी चाहिए।
लक्ष्मी के प्रतीक स्वरूप विद्या के ऊपर सुपारी रखनी चाहिए।

लक्ष्मी के प्रतीक स्वरूप विद्या के ऊपर सुपारी रखनी चाहिए।
कुबेर के प्रतीक के रूप में विदा के जोड़ पर सुपारी रखनी चाहिए।
चावल के धान के ऊपर जल से भरा तांबे का लोटा रखना चाहिए। इसके बाद दोपहर 12 से 12:30 बजे के बीच दूध का बर्तन रखें और हल्दी, कुंकुम, सफेद फूल, अक्षत अष्टगंध से भगवान की पूजा करें। दूध में तुलसी का एक पत्ता छोड़ दें और प्रसाद चढ़ाएं।

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