महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 नजदीक आ रहा है और दोनों प्रमुख समूह-महागठबंधन (भाजपा, शिवसेना शिंदे समूह और अन्य सहयोगी दल)और महा विकास अघाड़ी (शिवसेना उद्धव समूह, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) सत्ता के लिए कमर कस रही है।हालांकि, अनुमान है कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए संघर्ष होगा।
१. महागठबंधन की रणनीति
महायुति फिलहाल देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव की तैयारी कर रही है।
फडणवीस की भूमिका: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री के रूप में, फड़वानीस फिर से मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक हैं।
शिंदे गुट का दावा: एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के शिंदे गुट को महागठबंधन में लाकर अहम भूमिका निभाई है।इसलिए वह मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी नहीं छोड़ेंगे।
अजित पवार घटक:एनसीपी में अजित पवार गुट महागठबंधन का हिस्सा है।इसलिए उनके गुट द्वारा भी मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री का पद लिखे जाने की संभावना है।
२. महाविकास अघाड़ी का संघर्ष
हालांकि महाविकास अघाड़ी में तीन प्रमुख दल एक साथ आ गए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
शिव सेना (उद्धव समूह):मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे के गुट के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठापूर्ण है।
कांग्रेस: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा ठोक दिया है।
एनसीपी (शरद पवार समूह):शरद पवार के राजनीतिक वजन को देखते हुए एनसीपी भी मुख्यमंत्री पद पर दावा पेश करेगी।
३. चुनाव के बाद का संघर्ष: मुख्यमंत्री पद का विवाद
महागठबंधन में अंदरूनी कलह
अगर महागठबंधन चुनाव जीतता है तो भी मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर विवाद होने की संभावना है ।बीजेपी अपने संख्या बल के दम पर फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश करेगी वहीं शिंदे गट और अजित पवार गट अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने की कोशिश करेंगे।
महाविकास मोर्चे पर तनाव!
अगर महाविकास आघाडी सत्ता हासिल करती है। तो मुख्यमंत्री पद को लेकर संघर्ष अपरिहार्य है तीनों पार्टियों के बीच मुख्यमंत्री पद का बंटवारा तय करना मुश्किल होगा।
४. वोटिंग पर असर
विपक्ष का विभाजन:आंतरिक विवादों से दोनों समूहों में जनता का विश्वास कम हो सकता है।
एक अन्य छोटी पार्टी भूमिका:प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी एमएनएस(MNS )जैसी पार्टियां भी चुनाव में भूमिका निभा सकती हैं।
- निष्कर्ष
2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सत्ता के लिए खींचतान चुनाव से पहले और बाद में तेज होने की संभावना है। मुख्यमंत्री पद की हलचल का सीधा असर राज्य की राजनीति और स्थिरता पर पड़ेगा।
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