महाराष्ट्र प्रीमियर लीग 2024 की राजनीति गरमा चुकी है। चुनावी रणनीती , दावो ओर वादो के बीच महा विकास आघाडी अपने अपने समीकरण साधने मे जुटे है.
लेकिन इनमें से कौन सा गठबंधन साथ रहेगा और कौन कमजोर कड़ी होगी इस पर चर्चा चल रही है.
महागठबंधन के सामने चुनौतियां
बीजेपी शिंदे गुट के महागठबंधन के सामने कई मुश्किलें हैं, जिसमें शिवसेना और अन्य छोटी पार्टियां शामिल हैं.
१.एक नेतृत्व संघर्ष:नेतृत्व को लेकर बीजेपी और शिंदे गुट के बीच मतभेद की आशंका है.
२.ग्रामीण और शहरी प्रश्न:ग्रामीण इलाकों में किसानों की समस्या और शहरी इलाकों में बेरोजगारी जैसे मुद्दे महागठबंधन के लिए चुनौती बन सकते हैं.
३.स्थानीय स्तर पर असंतोष:अगर छोटी पार्टियों और स्थानीय नेताओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया गया तो इसका असर महागठबंधन पर पड़ सकता है.
महाविकास अघाड़ी की चुनौतियां
शिवसेना( उद्धव ग्रुप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी( NCP) और कांग्रेस एक साथ आ गए हैं, लेकिन गठबंधन में असमंजस की स्थिति साफ है.
१.NCP बीच बंटवारा: अजित पवार और शरद पवार के बीच टकराव से गठबंधन कमजोर हो सकता है.
२.धर्म-जाति राजनीति का प्रभाव:महायुति के हिंदुत्व एजेंडे का मुकाबला करने के लिए गठबंधन को ठोस रणनीति बनानी होगी.
- कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल की कमी: अगर तीनों पार्टियों के बीच तालमेल नहीं बन पाया तो उनकी मुहिम को नुकसान हो सकता है.
लोगों की जरूरतें
नए मतदाता युवा रोजगार शिक्षा और सतत विकास की मांग कर रहे हैं।इस चुनाव में किसानों की कर्ज माफी, महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक विकास मुख्य मुद्दे होंगे.इन मुद्दों पर न तो एलायंस और न ही एलायंस ने ध्यान केंद्रित किया।तो लोगों का गुस्सा निकलना लाजमी है.
stay tune with : abbkikhabar.com